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गर्भगिरितील नाथपंथ या पुस्तकाची चर्चा, जे लिहिले आहे जेष्ठ लेखक - श्री टी एन परदेशी सर यांनी। हे पुस्तक अनघा प्रकाशनने प्रकाशित केले आहे। महायोगी शिव गोरक्षनाथ, हा याच मलिकेतील दूसरा संदर्भ ग्रंथ 2021 मध्ये अनघा ने प्रकाशित केला आहे।
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Author on Facebook -T. N. Pardeshi
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महायोगी शिव गोरक्षनाथ या पुस्तकाची चर्चा, जे लिहिले आहे जेष्ठ लेखक - श्री टी एन परदेशी सर यांनी। हे पुस्तक अनघा प्रकाशनने प्रकाशित केले आहे। "पुणे नगर वाचन मंदिर" च्या १७४ व्या वर्धापन दिना निमित्त "संत वाङमय ग्रंथ पुरस्कार" श्रेणीतील "ह स गोखले पुरस्कार" विजेते लेखक।
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नचिकेता कौन थे, यमराज ने उसे कितने वरदान दिए थे?
संक्षिप्त जवाब:
नचिकेता पुत्र थे ऋषि वाजश्रवस् के. और कठ उपनिषद के अनुसार यमराज ने उन्हें तीन वरदान दिए थे.
विस्तीर्ण जवाब:
वाजश्रवस् ने देवों से उपहार / आशीर्वाद पाने के लिए "सर्व दक्षिणा" याने अपने सभी वस्तुओं को दान करना आरंभ किया. लेकीन उनके पुत्र नचिकेता ने देखा के उसके पिता केवल ऐसी गाय, जमीन का दान कर रहे थे जो बुढ़ी, अंधी और बंजर हैं.
नचिकेता को लगा के ऐसे करने से उनके पिता को दान का पूर्ण फल नहीं मिलेगा. नचिकेता ने कहा "मैं भी आपकी सम्पत्ति हूं, मुझे किसे दान दे रहे हों."
जवाब न आने पर नचिकेता ने बार बार पूछा.
वाजश्रवस् ने आखिरकार गुस्से में कह दिया, "जाओ मैं तुम्हें यमराज को दान देता हूं."
नचिकेता फिर यमराज के पास गए, जो की अपने स्थान पर नहीं थे.
नचिकेता 3 दिन तक बिना पानी और अन्न के वही द्वार पर इन्तेज़ार करते रहे.
जब यमराज लौटे तो अपने अतिथि को देख उन्होंने कहा, "जबकि तीन दिनों से आप रुके हो तो मैं आपको तीन वर देता हूं.जो चाहे मांग लो."
नचिकेता ने कहा, "मेरे पिता और मुझे शांति प्रदान कीजिये."
यमराज ने मान लिया.
दुसरे वर मे नचिकेता ने माँगा, "मुझे अग्निहोत्र यज्ञ का ग्यान दीजिए."
यमराज ने वह ग्यान भी दे दिया.
अब तीसरे वर में नचिकेता ने कहा, "मृत्यु के बाद क्या होता है इसका ग्यान दीजिए."
यमराज हिचकिचाते हैं और कहते है की देवों के लिए भी यह एक गूढ़ है. तुम इस ग्यान के बदले सृष्टि के सुख उपभोग की चीजें मांग लो मैं दे दूँगा.
लेकीन नचिकेता ने कहा ये सभी तो नश्वर हैं. और अमरत्व प्रदान नहीं करेंगे. मुझे यहीं ग्यान चाहिये ".
खुश हो यमराज बतातें है की, "आत्मन ही ब्रह्मण है. और वही विश्व की परम शक्ति हैं. मृत्यु के बाद आत्मा रहता है, आत्मन अमर हैं. बुद्धिमान व्यक्ति के जीवन का उद्देश्य आत्मा को जानना होता हैं. आत्मा छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा, सभी को व्यापे हुआ हैं. इस ब्रह्मण को समझना ही मुक्ती/मोक्ष पाना है. उसे न समझना जन्म मृत्यु के घेरे में उलझना है "
इस तरह, ब्रह्मण का ग्यान पाकर, जीवन-मुक्त हो, नचिकेता अपने घर लौटते हैं.
आशा करता हूं आपको यह जवाब अच्छा लगा होगा.
#SwapnilThakur #ManavPuraan